वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने नए स्लैब संशोधन की घोषणा की है, जिससे पूरे भारत के परिवारों को बड़ी राहत मिली है। कई आवश्यक वस्तुओं को अब कर-मुक्त श्रेणी में डाल दिया गया है, जिसका अर्थ है कि उपभोक्ताओं को अब उन पर जीएसटी नहीं देना होगा। इस कदम का उद्देश्य आम लोगों पर बोझ कम करना और रोज़मर्रा की ज़रूरतों को और अधिक किफायती बनाना है।
जीएसटी परिषद ने स्लैब में संशोधन क्यों किया?
महंगाई और बढ़ती कीमतें परिवारों के लिए एक गंभीर समस्या रही हैं। आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी कम करके, सरकार घरेलू खर्चों पर लगाम लगाना चाहती है और यह सुनिश्चित करना चाहती है कि बुनियादी ज़रूरतें सभी की पहुँच में रहें। इस बदलाव से छोटे व्यवसायों और दुकानदारों को भी फायदा होगा, क्योंकि वे कर के बोझ की चिंता किए बिना कम कीमतों पर आवश्यक वस्तुएँ बेच सकेंगे।
कौन सी वस्तुएं अब कर-मुक्त हैं?
परिषद ने उन उत्पादों की पहचान की है जो दैनिक उपभोग का हिस्सा हैं और आवश्यक माने जाते हैं। पहले इनमें से कई वस्तुओं पर 5% जीएसटी लगता था, लेकिन नए नियम के तहत इन्हें 0% कर स्लैब में डाल दिया गया है।
वर्ग | पहले की जीएसटी दर | नई जीएसटी दर | उपभोक्ताओं को लाभ |
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बिना पैकेज वाले खाद्यान्न | 5% | 0% | सस्ता चावल, गेहूं, दालें |
ताज़ी सब्जियाँ और फल | 5% | 0% | कच्चे खाद्य पदार्थों पर कोई कर भार नहीं |
दूध और डेयरी आवश्यक वस्तुएँ | 5% | 0% | दैनिक घरेलू बचत |
ब्रेड और बेकरी की मूल बातें | 5% | 0% | सस्ता मुख्य भोजन |
सैनिटरी नैपकिन | 12% | 0% | महिलाओं के स्वच्छता उत्पादों के लिए बड़ी राहत |
आम लोगों पर प्रभाव
एक औसत परिवार के लिए, यह निर्णय हर महीने अच्छी-खासी बचत में तब्दील हो जाता है। चावल, गेहूँ, दूध और ब्रेड जैसी चीज़ें रोज़ाना खाई जाती हैं, और जीएसटी हटने से परिवारों का किराने के सामान पर खर्च कम होगा। छात्र और वेतनभोगी लोग, जो अक्सर बजट को सीमित रखते हैं, उन्हें तुरंत ही फ़र्क़ महसूस होगा।
छोटे व्यापारियों और व्यवसायों के लिए लाभ
ज़रूरी सामान बेचने वाले दुकानदारों और व्यापारियों को अब इन वस्तुओं पर जीएसटी वसूलने की ज़रूरत नहीं होगी। इससे अनुपालन संबंधी झंझट, कागजी कार्रवाई और टैक्स मार्जिन को समायोजित करने की ज़रूरत कम हो जाएगी। अंततः, यह विक्रेताओं और खरीदारों दोनों के लिए फ़ायदेमंद स्थिति पैदा करता है।
अंतिम निर्णय: एक सच्चा राहत भरा कदम
जीएसटी स्लैब संशोधन को मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के लिए एक सीधी राहत के रूप में देखा जा रहा है। आवश्यक वस्तुओं को कर-मुक्त करके, सरकार ने ऐसे समय में वित्तीय सहायता प्रदान की है जब बढ़ती कीमतें लगातार चिंता का विषय बनी हुई हैं। इस कदम से न केवल घरेलू खर्च कम होंगे, बल्कि क्रय शक्ति भी मजबूत होगी।